भगत सिंह (Bhagat Singh) Chapter 3

दोस्तों!...मेरे मन में बहुत से सवाल आते हैं जैसे कि अगर भगत सिंह ज़िंदा होते तो क्या पाकिस्तान बनता? अगर भगत सिंह ज़िंदा होते तो कौन सी पार्टी मे आते या अपनी कोई पार्टी बनाते?.......ऐसे बहुत से सवाल हैं जो मेरे मन में आते हैं औरों के मन का मुझे नही पता। लेकिन भगत सिंह राजनीति के बारे में भी सोचते थे। अगर आप लोग सिर्फ यही सोचते हो कि भगत सिंह सिर्फ यही सोचते थे कि देश कैसे आज़ाद करवाना है या मैं फांसी पर चढ़ जाऊँ तो शायद ओर भगत सिंह पैदा होंगे और देश आजाद हो जाएगा।
दोस्तों मैं इस बात को बोलने में ज़रा भी हिचक नही करूँगा कि भगत सिंह के नाम की आढ़ या आप बोल सकते है कि भगत सिंह का पर्दा लेकर कुछ लोग संस्थाए या राजनीतिक पार्टियां जो बोलते तो बहुत हैं लेकिन बोलना कुछ और करना कुछ और । आज कल ऐसी स्थिति हो गयी है मैं सभी संस्थाओं को नही बोलूंगा क्योंकि कुछ कार्य करती हैं लेकिन कार्य करने वाली संस्थाओं को वो बल नही मिल पाता है। क्योंकि कभी रूपयों के अभाव से तो कभी लोगों के अभाब से।
मुझे पता है आप में से कुछ को बुरा भी लगेगा लेकिन यही सच्चाई है इसे छुपाया नही जा सकता है। भगत सिंह का मुझे एक विचार बहुत अच्छा लगता है और कभी कभी मैं खुद उस पर अमल नही करता हूँ भगत सिंह ने कहा था।
"जो लोग सच्चाई को देख के अनदेखा कर देते है और जो लोग जुल्म के खिलाफ न कुछ बोलते है ना करते है ना कुछ सुनना चाहते हैं वो लोग मुर्दों के समान होते हैं क्योंकि मुर्दे ना बोलते हैं ना कुछ करते हैं और ना कि कुछ सुनते हैं ऐसे लोगों को जीने का कोई हक नही होता है।"

पीयूष मिश्रा की एक कविता यहां पेश कर रहा हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी।

"वो काम भला क्या काम हुआ ,
जो चन्द्र शेखर आजाद ना हो।
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ,
जो भगत सिंह की याद ना हो।।"

इंक़लाब ज़िन्दाबाद

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