भगत सिंह (Bhagat Singh) Chapter 4

आप लोगों को एक ऐसे क्रांतिकारी दोस्त के बारे में बताऊंगा जो दोस्ती में जितना पक्का था उतना ही किसी काम में दोस्त से कम न रहे इस बात में भी पक्का था। आप ने उस क्रांतिकारी का नाम तो सुना ही होगा ओर कितना जानते है इसके बारे में इसका मुझे नही पता। उम्मीद करता हूँ कि जो में बताने जा रहा हूं आप लोगों ने ना सुना हो क्योंकि मुझे तो बड़ी अच्छा लगता है जब उनके बारे में बात करते है।
"शिवराम हरि राजगुरू" जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्रा में हुआ। वीर मराठा शिवजी का लड़का अपने आप का ऐसे ही परिचय दिया करते थे। नाटा सा लड़का charli chapline जितना कद होगा और charli जैसी ही हरकतें उसकी तरह मज़ाकिया व्यवहार। जैसे कि पहली की फिल्मों में एक कॉमेडियन का होना जरूरी होता था वैसा था .....जोकर...... हरकतें ऐसी की पण्डित जी दुखी हो जाया करते थे कि कहां से आ गया है ।.......
राजगुरु और अन्य साथी charli chepline की movies भी देखा करते थे तो पण्डित जी उनको बोला करते थे कि फिल्में देख के देश में क्रांति करोगे।
पण्डित जी शराब से बड़ी नफरत करते थे और किसी को पीने नही देते थे तो एक दिन राजगुरु शराब पीकर एक लड़की का कैलेंडर पार्टी आफिस में लगा दिया। पण्डित जी ने देखा तो गुस्सा हुए और उन्होंने वो कैलेंडर फाड़ दिया जब राजगुरु ने पूछा तो पण्डित जी ने कहा कि मैने फाड़ दिया है उनके बीच क्या बात होती है ।
राजगुरु- मेरा कैलेंडर किसने फाड़ा।
पंडित जी आगे आते हैं और बोलते हैं- मैने फाड़ा, तेरी ऐसी की तैसी तू क्रांति कर ले या इसमे घुस जा।
राजगुरु- तो आप कैलेंडर को फाड़ दोगे।
पंडित जी - हां फाड़ दूंगा।
राजगुरु- तो आप हर अच्छी चीज को फाड़ दोगे।
पंडित जी- हां फाड़ दूँगा।
राजगुर- पंडित जी..... ओर रोने लगा..... आप आज़ादी की कल्पना करते हो खूबसूरत चीज़ों से नफरत करके .....यार आज़ादी तो बड़ी हस्सीन होगी.....बदसूरत नही होगी।
राजगुरु के मुँह से ये निकला भले ही वो अनपढ़ था।

मरने का बहुत दीवाना...... राजगुरु को मरने की इतनी जल्दी थी कि कहता था एक बार देश के लिए मर जाऊ फिर आराम से सोऊंगा। जब असेम्बली में बम्ब फैकने के लिए कोई लड़का चुनना होता था तो राजगुरु सबसे आगे।
राजगुरु- मैं जाऊंगा भगत के साथ।
पंडित जी-वहां पर press होगी..... वहां अंग्रेजी बोलनी पड़ेगी।
राजगुरु- याद कर लूंगा जो भगत बोलेगा।
पंडित जी सबसे बोलते हुए- इसे मरने की इतनी जल्दी क्यों है।
राजगुरु- एक बार देश के लिए मर जाऊं फिर आराम से सोऊंगा।
पंडित जी- सब के सब बावले हो गए हैं।

एक आखिरी किस्सा राजगुरु का........ जब पुलिस के हाथों सब पकड़े जाते हैं तो राजगुरु बच गए थे। तो पंडित जी ने बोला था कि तू बच गया है अब सीधा पुणे चला जा ओर किसी को बोलना मत की तूने sandres को मारा है। ....अब राजगुरु था तो बड़बोला......... तो उसने क्या किया सबको बता देता था कि मैने sandres को मार है और साथ में अपनी बंदूक दिख देता था।
एक दिन hockey मैच देखने गया और वहां पर पकड़ लिया और जब अदालत में आता है तो सभी से कहता था कि तुम लोगों के बिना दिल नही लगता था तो आ गया मैं भी। और आखिर में भगत, सुखदेव के साथ 23 मार्च को फांसी पर लटका दिया जाता है। तो ऐसी दोस्ती थी भगत ओर उनके साथियों की .......अपने साथियों का मरने तक साथ नही छोड़ा ।

इंक़लाब ज़िन्दाबाद

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